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संगीत - लेखनी कविता -02-Mar-2022

उड़ते हुए पक्षी की चहचहाहट
लगती है मानो कोई मधुर संगीत
उनको गगन में उन्मुक्त उड़ते देख
ख़ुशी से बज उठते हृदय के गीत।

जब सावन के झूले पर झूले मन 
विरह में प्रेम का सन्देश लाये घन
पौधों का डोलना याद दिलाए मीत
मिलन आस झंकृत करती संगीत।

जब मछली जल संग करती क्रीड़ा
निःस्वार्थ प्रेम हरता मन की पीड़ा
देख मीनन की जल के प्रति प्रीत
हर्षित हो बज उठते मधुर संगीत।

माँ संग बच्चा जब करे अठखेलियाँ
इठला-बल खाकर मारे किलकारियाँ
माँ का हृदय जाता सम्पूर्ण जग जीत
गुंजायमान होता ममता भरा संगीत।

मदमस्त हवा का झोंका बहता जाए
फूलों की खुशबू अपने संग में लाये
वातावरण का कण-कण महकाये
उसके हिलोरों से निकलता संगीत।

वीर सिपाही जब भी जंग पर जाए
प्रेम भरा सन्देश ले चिट्ठी जब आए
माँ लिखती बेटा जाएगा जंग जीत
हर अक्षर से है सृजित होता संगीत।

संगीत का आदिम स्रोत है प्रकृति
सामवेद में है इसकी सुन्दर कृति
परा, मध्यमा, वैखरी व पश्यन्ती
नादों पर संगीत लहर है बहती।

ध्रुपद, धमार, ख्याल और ठुमरी
भजन, गज़ल की बाँधकर गठरी
बन गई हैं संगीत की छः शैलियाँ
मानों सजी हों षष्टरंगी थैलियाँ।

नहीं होता ये कोई सवाल या रीत 
ध्वनि और रस की सृष्टि है संगीत
गायन, वादन व नृत्य हैं समाहित
मानव के लिए हैं लाभदायक नित।

संगीत करता है तनाव को कम
हृदय के मिटा देता अनेक गम
दिमाग़ की नसों को दे आराम
सच्चे संगीत में छिपे चारों धाम।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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6 Comments

Swati chourasia

02-Mar-2022 07:14 PM

वाह बहुत खूब 👌

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Dr. Arpita Agrawal

02-Mar-2022 10:27 PM

Thanks a lot Swati ji

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Seema Priyadarshini sahay

02-Mar-2022 04:13 PM

बहुत बढ़िया

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Dr. Arpita Agrawal

02-Mar-2022 04:36 PM

धन्यवाद सीमा जी

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Zakirhusain Abbas Chougule

02-Mar-2022 11:32 AM

Nice

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Dr. Arpita Agrawal

02-Mar-2022 04:00 PM

Thanks a lot

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